अपनी जिंदगी का किस्सा.
जब ग़म का साया लहराया,
जब आंसू पलकों तक आया,
हमने दिल को ये समझाया,
दिल आखिर तू क्यों रोता है,
दुनियाँ में यूँही होता है,
ये जो गेहरे सन्नाटे हैं,
वक्त ने सबको ही बाँटे हैं,
थोडा ग़म है सबका किस्सा,
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा,
आंख तेरी बेकार ही ऩम है,
हर पल एक नया मौसम है,
क्यों तू ऐसे पल खोता है,
दिल आखिर तू क्यों रोता है.
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